एक हरा अहसास जिया

एक हरा अहसास जिया मैं पेड़ों के पास जिया   यूँ उसका विश्वास जिया जैसे इक संत्रास जिया   वो भी तो इक सागर था एक मुक़म्मल प्यास जिया   अधरों पर मुस्कान रही आँखों ने चौमास जिया   सीता सँग तो राम रहे उर्मिल ने बनवास जिया